संस्कृतदिनाचरणस्तवम् – by Narayanan N

संस्कृतदिनाचरणस्तवम्।

Narayanan N

     1.  मुनिवरपोषित चित्तविकार समुज्वल सद्गुण रामकथाम्

       प्रणवमहत्व विधातृ जगत्पति शङ्करभासित कल्पलताम्

       सुमततिशोभित सत्वसनातन दिव्यकथामृत लोकहितम्

       जय जय भारतकीर्तिविराजित सर्गविचारदिनाचरणम्।

2. गुणमहिमोदय वेदपुराणसरित्पतिविस्तृत तोयनिभम्

कलमुनीश्वर कीर्तनवन्दित श्रेष्ठकथार्जित भासयुतम्

नतिनिभृतानन पार्षदयूथ समञ्चसघोषविधानतलम्

जय जय वेदविहायसि विश्रुतमन्त्रपवित्रदिनाचरणम्।

  3.    बहुजनचर्चित कीर्तिलताखिल चारुचतुष्पदनाभभृतम्

      निखिलतलानृतपापविमोचनकाव्यसुधामल शक्तियुते

      द्विजवरचर्वितजालमृदुस्वन धातृसुताक्षरधन्यव्रते

      जय जय शङ्कर डम्बरवादन नादचतुर्दशसूत्रयुते।

4. अखिलतपोबल सिद्धिनिबन्धित शास्त्रविशेषविधिप्रचुरे

उपनिषदां व्रततीततिपुष्पित रम्यमनोहरकान्तियुते

मुनिवरमुख्यतपस्थितसंगत युक्तिविचारविशेषतमम्

जय जय सत्ययुगेषु प्रचालित संस्कृतियुक्तदिनाचरणम्।

5.      वररुचिवार्तिकभाष्यपतञ्जलि पाणिनिसूत्रविशेषधृतम्

     नटनकलालय नाट्यविशेष मनोहर विस्तृत शास्त्रभृतम्

     गदशमनप्रतिपादित वेदसकुङ्कुम चित्रकफालतलम्

     जय जय पुष्कलसाहितिनिर्भर ग्रन्थसमेतदिनाचरणम्।

6. सहितमनस्सुख शान्तिसमुत्थित योगविशेषण कामदुगा

अतिवरसंबहुवेगचतुष्क्रिय पूरित बन्धुर शास्त्रमतम्

कवनरसप्रतिपादितलक्षण कारिकया परिपुष्टधिया

जय जय नित्यं प्रतिधैर्विषयैः सूरिभिः घुषितदिनाचरणम्।

  7.    गुणगणकर्मसु बद्धविकस्वर पूरितबन्धित काव्ययुते

      शमयम मोक्षसमुन्नति तारक चिन्तित संगत ध्यानरते

      प्रतिदिनराग गभस्तिभिरुत्थित सर्वचलत्पदशक्तियुते

     जय जय सस्यवितानित कोमल सूक्ष्मपरिस्थितिरैक्यदिनम्।

8. धनुगुणबन्धित बाणनियुक्त विदारणसैन्य विजेतृपथाम्

वरुणविभेदक पाशुपतस्थित पन्नग गारुड ब्रह्मयुतम्

मनुजमनोभव धारणपोषित आणवनाशकतुल्यबलम्

जय जय बुद्धिविशेष समार्जित शेषिविधान दिनाचरमम्।

9.     शृणु शृणु मास्मर चित्तसमाधि विशेषतपोमय सिद्धवरम्

     वद वद ललित सम्मिलितोदय सुक्ष्मतलस्थित बोधगिरा

     पठतु सदा निजशक्तिनिबन्धित भारतकाव्य विशिष्टसुधाम्

     जय जय मंगलसूक्तिविराजित राज्यपवित्र दिनाचरणम्।

10. जनहितसम्मतिदान समुज्वलशासनशोभित राष्ट्रहिते

गुणगण चूषण मर्द्दन पीडन मुक्तिविधान व्यवस्थितये

समतुलितैकमनस्थितिपूरित नीतिसुतार्यपदस्थितये

जय जय लोकहिताय विशिष्ट वनान्तर सम्पद्सुखमिलिते।

One Response to संस्कृतदिनाचरणस्तवम् – by Narayanan N

  1. Sureshbabu c c says:

    श्री नारायणमहोदयस्य संस्कृतदिनाचरणस्तवम् नाम कविता अत्युत्तमा आलापनमपि मधुरतरम्।अभिनन्दनानि

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *